हम 'रहस्यमयी विज्ञान
कथा ई-बुक्स हिंदी Rahasyamayi Vigyan katha ebooks in hindi 2020' शीर्षक के अंतर्गत एक ऐसी किताब की चर्चा कर रहे हैं, जो अत्यंत ही पठनीय है । यह किताब वर्ष 2019 में प्रकाशित हुई है ।यह
एक विज्ञान कथा है (Hindi Science Fiction) । इस कथा का मुख्य बिंदु ‘अंधविश्वास और उसके रहस्य
से पर्दा हटाने के लिए ली गयी विज्ञान की मदद है ’।
उपन्यास का अंत
भी बहुत ही रोचक है । क्लाइमेक्स अचंभित करने वाला है । एक वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ
यह कहानी समाप्त होती है । इस कहानी में घटनाओं के विवरण के साथ-साथ पात्रों द्वारा
वैज्ञानिक विश्लेषण भी बताया जाता है, जिस
वजह से इसे बार-बार पढने का मन करता है । ऐसा ही एक अंश जो इस उपन्यास से लिया गया
है :-
हम यहाँ जिक्र कर रहें है एक विज्ञान कथा उपन्यास का, जिसका नाम है ‘ यू.पी. 204 ’।
यू पी 204, एक विज्ञान कथा
यह कहानी अंधेरी रात में चमकने वाली एक रोशनी के इर्द-गिर्द बुनी गयी है । इस रोशनी को लेकर लोगों में भय है, भय का कारण किवदंत्तियां और उससे उपजा अंधविश्वास है । एक उत्साही किशोर जो विज्ञान पढने में रुचि रखता है, विज्ञान के माध्यम से उसे समझने की कोशिश करता है और अंत में उसपर से अंधविश्वास का पर्दा हटाने में वह सफल होता है ।
यह कथा काफी रोचक
है और इसे पढते हुए आप कई बार रोमांचित हो उठेंगे । यह उपन्यास आपको छोटे-छोटे गाँवों, उसके इर्द-गिर्द के जंगलों, पहाड़ों, पठारों
के रास्ते उस गुफा तक ले जाता है जहाँ रहस्यमयी रोशनी का उद्गम
स्थल है । वहाँ के बारे में कई कहानियां हैं और उस प्रत्येक कहानी में एक अनदेखी घटनाओं
का जिक्र है जो लोगों को भयभीत करती है, जिससे उत्पन्न होता है
अंधविश्वास ।
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इस उपन्यास के मुख पृष्ठ पर ही लिखा है ‘
सदियों से मानव जाति कुछ ऐसे अंधकार के साथ जी रही है, जिसका वह अभ्यस्त हो चुकी है, उसे दूर करने से वह डरती
है एवं साथ चलने में ही भलाई समझती है, परंतु जब उस पर विज्ञान
की रोशनी पड़ती है तो सब स्पष्ट दिखता है और अंधकार स्वत: ही दूर हो जाता है.......'।
इस उपन्यास का एक प्रमुख अंश :-
‘
उस इलाके के लोग उस पहाड़ी को दो वजहों से महत्व देते थे, एक तो वहाँ ‘बुढिया
माई का स्थान’ था, धार्मिक महत्व था और
दूसरी वजह तो ऐसी थी, जिसने वैज्ञानिकों को भी ध्यानाकर्षित कर रखी थी और उनके लिए
भी पहेली बनी हुई थी । अमावश्या की रात,
उससे दो चार-दिन पहले की रात या दो चार दिन बाद की रात में पहाड़ी के ऊपर रोशनी
चमकती थी । यह रोशनी कभी-कभी तीन या चार मिनट तक होती थी । आकाशीय बिजली की चमक
जैसी तो अक्सर देखी जा सकती थी । आस-पास के गाँव के लोगों में यह मान्यता थी कि यह
रोशनी किसी बुरी आत्मा, राक्षसी या किसी डायन की विनाशकारी
शक्ति के कारण उत्पन्न होती थी । यह विनाशकारी शक्ति लोगों के लिए अनिष्टकारी तथा
अमंगल कारक थी, जिस वजह से पास के गाँव में तरह-तरह की
बीमारियां फैलती थीं, फसलों तथा पशुधन का नुकशान होता था । ‘
इस उपन्यास
में पहाड़ी के ऊपर जिस रोशनी की चर्चा की गयी है, उसी के बारे में जाँच –पड़ताल की कथा बुनी गयी है ।
रोशनी से जुड़ी एक-एक घटना पाठकों का मन मोह लेती है और उसे पढने को विवश करती है ।
यह रोशनी जिस पहाड़ की चोटी से निकलती है उसके तल में एक गुफा है । यह गुफा काफी पुरानी
है तथा मानव द्वारा निर्मित है, उस गुफा से जुड़ी कुछ कहानियां हैं, जिसकी वजह
से रहस्य और गहरी हो जाती है और मनुष्यों के लिए उस गुफा तक जाना बेहद कठिन और जानलेवा
हो जाता है ।
इस कथा
को पढते हुए आप कई रहस्यमयी मार्गों से गुजरते हैं जो आपके अंदर जिज्ञासा बनाये रखती
है । इसकी पूरी कथा उसी गुफा के आसपास चलती
है । गुफा अपने आप में एक रहस्य है । इससे संबंधित उपन्यास का एक छोटा अंश :-
‘वे गुफा के द्वार के समीप गए, उन्होंने अंदर झाँकने
की कोशिश की, उन्हें ऐसा लगा जैसे वे किसी अंधकारमय सुरंग के
द्वार पर खड़े हों । अंदर रोशनी नहीं थी जिसकारण उन्हें कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा
था । सभी वहाँ चुप-चाप खड़े होकर अंदर निहारने की कोशिश कर रहे थे । अंदर कदम रखने
की हिम्मत किसी ने नहीं की थी । डा0 कुमार ने एक योजना
बनायी, जिसके अनुसार दल के कुछ लोगों ने धीरे-धीरे अंदर प्रवेश करना शुरू किया । उनके
हाथ में टॉर्च था । द्वार के अंदर घुसते ही उन्होंने ऊपर छत की ओर रोशनी फेंकी थी ।
छत ऊँची थी और गंदी दिख रही थी । छत का
अधिकांश हिस्सा मकड़ी के जाल से ढका था । बगल की दीवारें खुरदरी थीं । परंतु यह खुरदरापन
लगभग दो मीटर तक ही थी, आगे की दीवारें समतल थी ।
वे धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे ।‘
‘कई संस्थानों से बहुत जल्द ही रिपोर्टें आ गयीं थीं । कुछ वैज्ञानिकों
का मानना था कि द्रव के लाल होने का मुख्य कारण किसी खास तरह के फंगस का पोर्स (pores) था, नमी युक्त, धूप की कमी वाले, पथरीली जगहों पर ऐसे फंगस उगते हैं ।
पानी से मिलकर यह रक्त की तरह दिखते हैं, हलांकि पूर्ण
रिपोर्ट अभी कहीं से नहीं आई थी । इसमें छह महीने से अधिक वक्त लग सकता था । किसी-किसी
विश्वविद्यालय ने तो फिर से सैंपल मंगवाया था और उसके शोधकर्ताओं ने साइट का विजिट
भी किया था ।
कुछ
वैज्ञानिकों ने इस तरल को केरल में हुए खूनी बारिश से संबंधित बताया था । इसकी वजह
बाह्य अंतरिक्ष से प्राप्त किसी जैविक संरचना की मौजूदगी थी । वास्तव में उसमें
उपस्थित लाल कण एक कोशीय सूक्ष्म जिवाणु था, जिसमें डीएनए की भांति संरचना भी थी, चूंकि
पृथ्वी का वायुमंडल उस जिवाणु के लिए उपयुक्त नहीं था, इसलिए यह जिवाणु निष्क्रीय
अवस्था में था, परंतु गुफा के अंदर इसका पाया जाना अद्भुत घटना थी । यहाँ तक बाह्य
अंतरिक्ष का संपर्क होना असंभव लग सकता था, लेकिन यह संभव था । क्यों और कैसे? इसके बारे
में वृहद शोध की आवश्यकता थी ।‘
इसके आगे और भी बहुत कुछ है, जिसे यहाँ
पर लिखना संभव नहीं है । उन बातों को जानने के लिए उपन्यास ही पढ सकते हैं । एक पूरी विज्ञान कथा समाहित है इसमें ।