Friday 27 March 2020

ई-पुस्तक 

आप सभी पाठकों का स्वागत है । यहाँ हम आपको उन कृतियाँ से अवगत कराना चाहते हैंजिसे पढकर आनंद महसूस करेंगे। हिंदी साहित्य में शुरुआत से लेकर वर्तमान समय तक बहुत सारी ऐसी पुस्तकें लिखी गयी जो अत्यंत ही पठनीय एवं रोचक है। यहाँ पर कुछ पुस्तकों को उसके परिचय के साथ प्रस्तुत किया गया हैजिससे आप सभी को अपने रुचि अनुसार पुस्तक चयन में आशानी होगी ।

इस भाग में हमने अतयंत पठनीयमजेदार 10 पुस्तकों को संग्रहित किया हैजिसे यदि आपने पढना प्रारम्भ कर दिया तो बिना समाप्त किए नहीं रुकेंगे।  

1.धर्मवीर भारती की लोकप्रिय कहानी (Dharamveer Bharti Ke Lokpriya Kahaniyan)


लेखक : धर्मवीर भारती

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क्यों पढें ?

कुबड़ी-कुबड़ी का हेराना?’’ ‘‘सुई हेरानी।’’ ‘‘सुई लैके का करबे?’’ ‘‘कंथा सीबै!’’ ‘‘कंथा सीके का करबे?’’ ‘‘लकड़ी लाबै!’’ ‘‘लकड़ी लाय के का करबे?’’ ‘‘भात पकइबे!’’ ‘‘भात पकाय के का करबे?’’ ‘‘भात खाबै!’’ ‘‘भात के बदले लात खाबे।’’ और इससे पहले कि कुबड़ी बनी हुई मटकी कुछ कह सके, वे उसे जोर से लात मारते और मटकी मुँह के बल गिर पड़ती। उसकी कुहनियाँ और घुटने छिल जाते, आँख में आँसू आ जाते और ओठ दबाकर वह रुलाई रोकती। बच्चे खुशी से चिल्लाते, ‘‘मार डाला कुबड़ी को! मार डाला कुबड़ी को!’’ —इसी पुस्तक से साहित्य एवं पत्रकारिता को नए प्रतिमान देनेवाले प्रसिद्ध साहित्यकार एवं संपादक श्री धर्मवीर भारती के लेखन ने सामान्य जन के हृदय को स्पर्श किया। उनकी कहानियाँ मर्मस्पर्शी, संवेदनशील तथा पठनीयता से भरपूर हैं। प्रस्तुत है उनकी ऐसी कहानियाँ, जिन्होंने पाठकों में अपार लोकप्रियता अर्जित की



2.खातों का सफ़रनामा (Khaton Ka Safarnama)

लेखिका : अमृता प्रीतम


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क्यों पढें ?

यह अमृता प्रीतम और इमरोज़ द्वारा एक-दूसरे को लिखे गए प्रेम-पत्रों का संकलन है, जिनसे इन दो अत्यधिक रचनात्मक व्यक्तियों के व्यक्तित्वों के संबंध में गोपनीय जानकारी प्राप्त होती है। इनके द्वारा पाठक उनके असाधारण संबंध के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त करते हैं। इनसे उस समय के सामाजिक हालात पर भी रोचक प्रकाश पड़ता है। इसी में इन पत्रों का महत्त्व निहित है |



3. चौदह फेरे (Chaudah Phere)

लेखिका :  शिवानी
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क्यों पढें ?


चौदह फेरे तब केबल टी.वी. के धारावाहिक शुरू नहीं हुए थे और हिन्दी पत्रिकाओं में छपनेवाले लोकप्रिय धारावाहिक साहित्य-प्रेमियों के लिए आकर्षण और चर्चा का वैसे ही विषय थे, जैसे आज के सीरियल। चौदह फेरे जब ‘धर्मयुग’ में धारावाहिक रूप में छपने लगा तो इसकी लोकप्रियता हर किस्त के साथ बढ़ती गई। कूर्मांचल समाज में तो शिवानी को कई लोग चौदह फेरे ही कहने लगे थे। उपन्यास के रूप में इसका अन्त होने से पहले अहिल्या की फैन बन चुकी प्रयाग विश्वविद्यालय की छात्राओं के सैकड़ों पत्र उनके पास चले आए थे, ‘प्लीज, प्लीज शिवाजी जी, अहिल्या के जीवन को दुःखान्त में विसर्जित मत कीजिएगा।’ कैम्पसों में, घरों में शर्तें बदी जाती थीं कि अगली किस्त में किस पात्र का भविष्य क्या करवट लेगा।



4. मेरी प्रिय कहानियाँ (Meri priya kahaniyan)
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लेखक : फणीश्वरनाथ रेणु

क्यों पढें ?

वरिष्ट कथाकार फणीश्वरनाथ 'रेणु' की ये चुनी हुई कहानियाँ उनके समग्र लेखन का प्रतिनिधित्व करती हैं । इनमें उनकी 'तीसरी कसम’ जिस पर बहुचर्चित फिल्म भी बनी- 'रसप्रिया' हैं 'लाल पान की बेगम' जैसी सवोंत्तम आंचलिक कहानियाँ तो है ही, आधुनिक विषयों पर लिखी 'अग्निखोर' और 'रेखाएं: वृत्तचक्र' जैसी श्रेष्ठ कहानियाँ भी हैं ।




5. कश्मीरी की चुनी हुई कहानियाँ (Kashmiri ki chuni hui kahaniyaan)
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संपादन : कमलेश्वर  

क्यों पढें ?


आबिद सुरती, अंजलि खांड़वाला, धीरेन्द्र मेहता, मोहनभाई पटेल गुजराती साहित्य के जाने-माने नाम हैं। उनकी और अन्य गुजराती लेखकों की चुनी हुई कहानियाँ इस पुस्तक में प्रस्तुत हैं जिनका चुनाव हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार कमलेश्वर ने किया है और साथ ही एक विस्तृत भूमिका भी लिखी है। प्रत्येक भाषा की अपनी प्रकृति होती है, औरों से कुछ हटकर। इस संकलन में आप गुजराती कहानी की अपनी विशेष शैली, अपना विशिष्ट प्रवाह पाएंगे। यह पुस्तक हिन्दी के पाठकों को गुजराती की उत्कृष्ट कहानियों और गुजराती साहित्य को जानने का अवसर प्रदान करती है।




6.मेरी प्रिय कहानियाँ (Kashmiri ki chuni hui kahaniyaan)
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संपादन : कमलेश्वर  

क्यों पढें ?

हिन्दी साहित्य के आधुनिक कहानीकारों में कमलेश्वर की कहानियों का ऊंचा स्थान है। कहानी को एक सार्थक और समानतापरक मोड़ देने में इनका बड़ा हाथ रहा है। इसी कारण अपेक्षाकृत कम लिखकर भी इन्होंने बहुत ख्याति अर्जित की। इस संकलन में कमलेश्वर की अपनी प्रिय कहानियां, उनकी कहानी-सम्बन्धी मूल धारणाओं को व्यक्त करने वाली भूमिका के साथ, संकलित हैं।






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7.मेरी प्रिय कहानियाँ (Meri priya kahaniyan )

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संपादन : राजेंद्र यादव

क्यों पढें ?


हिन्दी साहित्य के आधुनिक कहानीकारों में अग्रगण्य राजेन्द्र यादव की अपनी चुनी हुई कहानियों" इस संकलन में संगृहीत हैं । इसके साथ इन कहानियों तथा लेखक की अपनी विकास- यात्रा की संक्षिप्त परन्तु रोचक भूमिका इस संकलन की पठनीय सामग्री है । कथा, शैली तथा चरित्र-चित्रण की दृष्टि से हिन्दी कहानी को विश्व के आधुनिक कहानी साहित्य के समकक्ष लाने में इनका विशेष योगदान है ।



8.विष्णु प्रभाकर की लोकप्रिय कहानियाँ

(Vishnu Prabhakar ki Lokpriya Kahaniyan)

लेखक: विष्णु प्रभाकर
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क्यों पढें ?


सन् 1931 में जब विष्णु प्रभाकर 19 वर्ष के थे, उनकी पहली कहानी ‘दिवाली की रात’ लाहौर से निकलनेवाले ‘मिलाप’ पत्र में छपी। उसके बाद जो सिलसिला शुरू हुआ, वह 76 वर्ष सन् 2007 तक निर्बाध चलता रहा। उनके लेखन में विचार नारों की तरह शोरगुल में नहीं बदलता। मनुष्य मन की जटिल व्यवस्था हो या अन असामाजिक परिस्थितियाँ, विष्णु प्रभाकर उस मनुष्य की चिंता करते हैं, जिसे सताया जा रहा है और फिर भी निरंतर मुक्ति संग्राम में जुटा है। उनकी कथावस्तु में प्रेम, मानवीय संवेदना, पारिवारिक संबंध, अंधविश्वास जैसे विषय मौजूद हैं। विष्णुजी की अधिक रुचि मनुष्य में रही। उन्होंने उसके जीवन के झूठ और पाखंड को देखा, उसके छोटे-से-छोटे क्रियाकलाप को बारीकी से परखा, उसके अंतर में चलते द्वंद्व को समझा, अपने दीर्घ अनुभव के साँचे में ढाला और करुणा के अंतर्निहित भावों को शब्द दिए। वे अपने प्रारंभिक त्रासद जीवन के प्रभाव से शायद कभी मुक्त न हो सके। उनका विपुल साहित्य उनके स्वयं के जीवन का ही प्रतिरूप है, जो सरल, सात्त्विक, अकृत्रिम व मानवीय मूल्यों को समर्पित है। मित्र, हमदर्द, सलाहकार, सहभागी और सहयात्री—विष्णु प्रभाकर अनेक रूपों में अपने कथा-पात्रों के साथ जीते हैं। यही जीना उनकी रचनाओं को रोचक बना देता है।.

9.प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियाँ

(Premchand ki Lokpriya Kahaniyan)

लेखक: प्रेमचंद
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क्यों पढें ?


दस-बारह रोज और बीत गए। दोपहर का समय था। बाबूजी खाना खा रहे थे। मैं मुन्नू के पाँवों में पीनस की पैजनियाँ बाँध रहा था। एक औरत घूँघट निकाले हुए आई और आँगन में खड़ी हो गई। उसके वस्‍‍त्र फटे हुए और मैले थे, पर गोरी सुंदर औरत थी। उसने मुझसे पूछा, ‘‘भैया, बहूजी कहाँ हैं?’’ मैंने उसके निकट जाकर उसे देखते हुए कहा, ‘‘तुम कौन हो, क्या बेचती हो?’’ औरत-‘‘कुछ बेचती नहीं हूँ, बस तुम्हारे लिए ये कमलगट्टे लाई हूँ। भैया, तुम्हें तो कमलगट्टे बड़े अच्छे लगते हैं न ?’’ मैंने उसके हाथ में लटकती हुई पोटली को उत्सुक आँखों से देखकर पूछा, ‘‘कहाँ से लाई हो? देखें।’’ स्‍‍त्री, ‘‘तुम्हारे हरकारे ने भेजा है, भैया.’’ मैंने उछलकर कहा, ‘‘कजाकी ने?’’ स्‍‍त्री ने सिर हिलाकर ‘हाँ’ कहा और पोटली खोलने लगी। इतने में अम्माजी भी चौके से निकलकर आइ । उसने अम्मा के पैरों का स्पर्श किया। अम्मा ने पूछा, ‘‘तू कजाकी की पत्‍नी है?’’ औरत ने अपना सिर झुका लिया। -इसी पुस्तक से उपन्यास सम्राट मुंशी पेमचंद के कथा साहित्य से चुनी हुई मार्मिक व हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह।

10.गिरिराज किशोर की लोकप्रिय कहानियाँ

(Giriraj Kishor ki Lokpriya Kahaniyan)

लेखक: गिरिराज किशोर

क्यों पढें ?
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गिरिराज किशोर की कहानियों की यह विशेषता है कि इनमें समकालीन जीवन को समझने-बूझने के सूत्र प्राप्त होते हैं। ये सूत्र जीवन-जगत् के भविष्य को भी इंगित करते हैं। इन सूत्रों में रचना समय के राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, उच्च तकनीकी (मोबाइल मैसेज संस्कृति) के श्वेत-श्यामल पक्षों, भाषिक क्षेत्रों के आंतरिक इतिहास को भी स्पष्ट देखा-परखा जा सकता है। सामयिकता से भरपूर तथा समय का अतिक्रमण करने की यह क्षमता कृतिकार के सृजन को अमरत्व की ओर अग्रसर करती है। प्रस्तुत संग्रह की कहानियों में कथाकार ने बृहत्तर समाज के कई रूपों, स्थितियों के वैयक्तिक एवं सार्वजनिक चित्र अंकित किए हैं। इस अंकन में बारीकी के साथ उन अदृश्य कारकों को भी प्रतीकात्मक ढंग से उल्लिखित किया है, जो मनुष्य और समाज की अंतर्क्रिया के फलस्वरूप अभौतिक संस्कृति को बहुत धीमे-धीमे क्षरित करते सांस्कृतिक और शाश्वत मूल्यों के अवमूल्यन अथवा पूर्णक्षरण को रेखांकित करते हुए क्रमशः अर्वाचीन मनुष्य और समाज को, प्राचीन मनुष्य और समाज से पूर्णतः पृथक् करते, सर्वथा बदले चेहरे में प्रस्तुत करके सांस्कृतिक विलंबना और विडंबना को व्याख्यायित करते हैं। कथा-रस से भरपूर ये कहानियाँ मनोरंजन के साथ-साथ समाज-जीवन की विसंगतियों-विद्रूपताओं को उजागर करती हैं, जिससे ये पाठक को अपनी सी लगती हैं।

 
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