Wednesday, 8 July 2020

महापुराण की महिमा


            गातांक 'महापुराण की महिमा'  में हमनें ब्रह्म पुराण,  पद्म पुराण एवं विष्णु पुराण केेबारे पुस्तक चर्चाा की हैै। इस अक मे हम इसके बाद के अन्य पुराणों के बारे में चर्चा करेंगे । 

          भारतीय संस्कृति के मूल धारा के रूप में वेदों के बाद पुराणों का ही स्थान है । वेदों में वर्णित अगम रहस्यों तक जन समान्य की पहुँच नहीं हो पातीपरंतु पुराणों की मंगल मयीज्ञान प्रदायनी दिव्य कथाओं का श्रवण-मनन और पठन-पाठन कर जन साधारण भी भक्ति तत्व के अनुपम रहस्य से सहज ही परिचित हो सकते हैं ।


Vayu Puran

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इस पुराण में वायुदेव ने श्वेतकल्प के प्रसंगों में धर्मों का उपदेश किया है। इसलिये इसे वायु पुरण कहते है। यह पूर्व और उत्तर दो भागों से युक्त है। जिसमें सर्ग आदि का लक्षण विस्तारपूर्वक बतलाया गया है, जहां भिन्न भिन्न मन्वन्तरों में राजाओं के वंश का वर्णन है और जहां गयासुर के वध की कथा विस्तार के साथ कही गयी है, जिसमें सब मासों का माहात्मय बताकर माघ मास का अधिक फ़ल कहा गया है जहां दान दर्म तथा राजधर्म अधिक विस्तार से कहे गये हैं, जिसमें पृथ्वी पाताल दिशा और आकाश में विचरने वाले जीवों के और व्रत आदि के सम्बन्ध में निर्णय किया गया है, वह वायुपुराण का पूर्वभाग कहा गया है।



Bhagavat Mahapuran 

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श्रीमदभागवत
भारतीय वाङ्मयका मुकुटमणि है। भगवान शुकदेवद्वारा महाराज परीक्षितको सुनाया गया भक्तिमार्गका तो मानो सोपानही है। इसके प्रत्येक श्लोकमें श्रीकृष्ण-प्रेमकी सुगन्धि है। इसमें साधन-ज्ञान, सिद्धज्ञान, साधन-भक्ति, सिद्धा-भक्ति, मर्यादा-मार्ग, अनुग्रह-मार्ग, द्वैत, अद्वैत समन्वयके साथ प्रेरणादायी विविध उपाख्यानों का अद्भुत संग्रह है। कलि सन्तरणका साधन-रूप यह सम्पूर्ण ग्रन्थ-रत्न मूलके साथ हिन्दी-अनुवाद, पूजन-विधि भागवत-महात्म्य, आरती, पाठके विभिन्न प्रयोगोंके साथ दो खण्डोंमें उपलब्ध है।





Narad Puran


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नारदपुराण में सदाचार-महिमा, वर्णाश्रम धर्म, भक्ति तथा भक्तके लक्षण, विविध प्रकारके मंत्र, देवपूजन, तीर्थ-माहात्म्य, दान-धर्मके माहात्म्य और भगवान विष्णुकी महिमाके साथ अनेक भक्तिपरक उपाख्यानोंका विस्तृत वर्णन किया गया है। 768 पेज में प्रस्तुत है।









Markandey Puran

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The birds said- 'O Jaimini! This was the way, sage Markandeya had narrated the divine tales to Kraustuki. A person who either studies this Purana or listens to it achieves great accomplishment. All his desires are fulfilled and he enjoys a long life. He becomes free from all his sins. Markandeya Purana is the seventh among all the eighteen Puranas. Listening to it helps a man to atone for all the sins committed during the period of one hundred crore Kalpas. The virtues attained by listening to Markandeya Purana are equivalent to the virtues attained by making donations at Pushkar or by studying all the Vedas.







Agni Puran

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विषय की विविधता एवं लोकोपयोगिता की दृष्टि से इस अग्निपुराण का विशेष महत्त्व है। इस में परा-अपरा विद्याओं का वर्णन, महाभारत के सभी पर्वों की संक्षिप्त कथा, रामायण की संक्षिप्त कथा, मत्स्य, कूर्म आदि अवतारों की कथाएँ, सृष्टि-वर्णन, दीक्षा-विधि, वास्तु-पूजा, विभिन्न देवताओं के मन्त्र आदि अनेक उपयोगी विषयों का अत्यन्त सुन्दर प्रतिपादन किया गया है। यह श्रीमद द्वैपायन मुनि प्रणीत अग्निपुराण (मूल संस्कृत का हिंदी-अनुवाद) 848 पेज में प्रस्तुत है |






Bhavishya Purana 


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The Bhavishya Purana is the eleventh among the Puranas and it contains five parts. The first part contains a description of the genesis, greatness of the deities and worship of Lord Vishnu, Shiva and Surya. Second, third and fourth parts describe about the greatness of Shiva, Vishnu and Surya respectively. It gives very accurate forecasts about Adam and Eve, Noah's Ark, the fall of Sanskrit and coming of other languages, about the coming of Buddha, Madhavacharya, Chandragupta, Ashoka, Jayadeva and Krishna Chaitanya and about Kutubuddin & the Shaws ruling Delhi.




Brahmavaivarta Purana 


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Brahmavaivartapurana figures as the tenth in the traditional list of the Puranas. It is divided into four parts called khandas, comprising 267 chapters. The khandas are: Brahmakhanda: 30 chapters, Prakrti-Khanda: 67 chapters, Ganapatikhanda: 46 chapters and Srikrsnajanmakhanda: 133 chapters. It is well known that the Brahmavaivarta is a Vaisnavite Purana and the sole objective of the work is to glorify the life and achievements of Sri Krsna, an incarnation of Visnu and his Sakti Radha. Many episodes and topics have been interwoven to embellish the main theme of the work. In this Purana, Krsna is not simply an incarnation, he is far superior to and even creator of Prakrti. He is God above all gods.
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