श्री राम चरित मानस (Shri Ramcharit Manas ) दुनिया के सर्वाधिक लोक प्रिय पुस्तकों में प्रथम स्थान पर है । हिंदी में ही नहीं, वरन अन्य भाषाओं में भी इसकी लोकप्रियता कम नहीं है । आमेजन किंडल पर यह पुस्तक उपलब्ध है, जिसे आप सुविधानुसार पढ सकते हैं।
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श्री सहित दिनकर बंस भूषण काम बहु छबि सोहई ।
नब अंबुधर बर गात अंबर पीत सुर मन मोहई ॥
मुकुटांगदादि बिचित्र भूषन अंग अंगन्हि प्रति सजे ।
अंभोज नयन बिसाल उर भुज धन्य नर निरखंति जे ॥
राम चरित मानस का यह पुस्तक ई-बुक्स के रूप में होने के कारण यह आसानी से आपके मोबाइल या कम्प्यूटर पर सहेज कर रखा जा सकता है, जिसे जरूरत पड़ने पर पढा जा सकता है। इस पुस्तक में टीकाकार हनुमान प्रसाद पोद्दार ने बड़े ही सहजता पूर्वक तुलसीदास रचित पुस्तक की व्याख्या की है, जिसे कम पढा-लिखा साधारन व्यक्ति भी आसानी से समझ सकता है । प्रत्येक दोहा या छंद के नीचे उसकी व्याख्या लिखी गयी है, जिससे उसे पढा जा सकता है ।
वाल्मीकि रामायण
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रामायण’
भारतीय पौराणिक ग्रंथों में सबसे पूज्य एवं जन-जन तक पहुँच रखनेवाला ग्रंथ है।
रामकथा की पावन गंगा सदियों से हिंदू जन-मानस में प्रवाहित होती रही है। भारत ही
नहीं; संसार
भर में बसनेवाले हिंदू रामायण के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हैं। रामकथा का
प्रसार और प्रभाव इतना व्यापक है कि इससे संबंधित कथाओं-उपकथाओं की चर्चा बड़ी
श्रद्धा के साथ की जाती है। रामकथा इतनी रसात्मक है कि बार-बार सुनने-जानने को मन
सदैव उत्सुक रहता है। विद्वान् लेखक ने पुस्तक को इस उद्देश्य के साथ लिखा
है कि हमारी नई पीढ़ी भारतीय संस्कार; आदर्श एवं जीवन-मूल्यों को आत्मसात् कर सके। इन
कहानियों में पर्वतों; नदियों; नगरों; योद्धाओं
के पराक्रम; शस्त्रास्त्रों
एवं दिव्यास्त्रों; मायावी
युद्धों के साथ-साथ ऋषियों;
महर्षियों
एवं राजर्षियों के पावन चरित्रों का वर्णन अत्यंत सरल भाषा में किया गया है। विश्वास
है, प्रस्तुत
पुस्तक को पढ़कर इसके आदर्शों; सदाचारों एवं सद्गुणों का अपने जीवन में
अनुकरण-अनुसरण करेंगे।
श्री गुप्ता ने सरल बुद्धि का प्रयोग करते हुए तथा किसी भी पूर्वाग्रह से मुक्त हो कर रामायण का अध्ययन करने के बाद उस के प्रमुख चरित्रें एवं घटनाओं के बारे में अपना चिंतन इस पुस्तक में संकलित किया है | रामायण कोई धर्मग्रंथ नहीं, बल्कि साहित्यिक रचना है। लेकिन श्री गुप्ता ने उस की काव्यात्मकता की ओर ध्यान न दे कर नई क्रांतिकारी विचारधारा के अनुसार उस के ऐतिहासिक, सामाजिक, राजनीतिक, नैतिक तथा मानवीय मूल्यों पर ध्यान केंद्रित किया है। रामायण के सही मूल्यांकन के लिए यह पुस्तक हर हिंदू परिवार के लिए अनिवार्यतया पठनीय एवं संग्रहणीय है।
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