ई-पुस्तक
आप सभी पाठकों का स्वागत है । यहाँ हम आपको उन
कृतियाँ से अवगत कराना चाहते हैं, जिसे पढकर आनंद महसूस करेंगे। हिंदी साहित्य
में शुरुआत से लेकर वर्तमान समय तक बहुत सारी ऐसी पुस्तकें लिखी गयी जो अत्यंत ही
पठनीय एवं रोचक है। यहाँ पर कुछ पुस्तकों को उसके परिचय के साथ
प्रस्तुत किया गया है, जिससे आप सभी को अपने रुचि अनुसार पुस्तक चयन में
आशानी होगी ।
इस भाग में हमने अतयंत पठनीय, मजेदार 10 पुस्तकों
को संग्रहित किया है, जिसे यदि
आपने पढना प्रारम्भ कर दिया तो बिना समाप्त किए नहीं रुकेंगे।
1.पंचतंत्र (Panchtantra)
क्यों पढे ?
‘‘पंचतंत्र की कहानियाँ’’ बहुत साल पुरानी हैं। यह कहानियाँ पंडित विष्णु शर्मा ने संस्कृत भाषा में लिखी थीं।
ऐसा कहा जाता है कि राजा अमरमणि ने पंडित विष्णु शर्मा से अपने तीन पुत्रों को नीति ज्ञान सिखाने के लिए कहा। पंडित विष्णु शर्मा ने छः महीने का समय माँगा और राजा के पुत्रों को पाँच तंत्र पढ़ाये। जानवरों की कहानियों पर आधारित ये पाँच तंत्र थे मित्रभेद मित्रसम्प्राप्ति, काकोलुकीय, लब्ध-प्रणाश और अपरीक्षितकारक। इनसे शिक्षा प्राप्त करने पर राजकुमार असाधारण विद्वान बन गए।तब से ‘‘पंचतंत्र’’ नामक यह ग्रंथ बच्चों की ज्ञान प्राप्ति के लिए पृथ्वी पर विख्यात हुआ। हमारी इस पुस्तक ‘‘विष्णु शर्मा उधृत संपूर्ण सचित्र पंचतंत्र’’ को बहुत सुन्दर चित्रों से सुशोभित किया गया है। रोचक भाषा में लिखी कहानियाँ इसी महान ग्रंथ से ली गयी हैं। इस पुस्तक के माध्यम से हम प्यारे बच्चों को कहानियों के द्वारा वो अनमोल ज्ञान देना चाहते हैं जो हमारी प्राचीन सभ्यता की धरोहर हैं।
ऐसा कहा जाता है कि राजा अमरमणि ने पंडित विष्णु शर्मा से अपने तीन पुत्रों को नीति ज्ञान सिखाने के लिए कहा। पंडित विष्णु शर्मा ने छः महीने का समय माँगा और राजा के पुत्रों को पाँच तंत्र पढ़ाये। जानवरों की कहानियों पर आधारित ये पाँच तंत्र थे मित्रभेद मित्रसम्प्राप्ति, काकोलुकीय, लब्ध-प्रणाश और अपरीक्षितकारक। इनसे शिक्षा प्राप्त करने पर राजकुमार असाधारण विद्वान बन गए।तब से ‘‘पंचतंत्र’’ नामक यह ग्रंथ बच्चों की ज्ञान प्राप्ति के लिए पृथ्वी पर विख्यात हुआ। हमारी इस पुस्तक ‘‘विष्णु शर्मा उधृत संपूर्ण सचित्र पंचतंत्र’’ को बहुत सुन्दर चित्रों से सुशोभित किया गया है। रोचक भाषा में लिखी कहानियाँ इसी महान ग्रंथ से ली गयी हैं। इस पुस्तक के माध्यम से हम प्यारे बच्चों को कहानियों के द्वारा वो अनमोल ज्ञान देना चाहते हैं जो हमारी प्राचीन सभ्यता की धरोहर हैं।
2.विक्रम और बेताल
विक्रम
और बेताल महाकवि सोमदेव भट्ट द्वारा लगभग 2,500 साल पहले लिखी गई ‘बेताल पच्चीसी’ पर आधारित है। यह बेताल द्वारा बुद्धिमान राजा विक्रमादित्य को
बताई गई कहानियाँ हैं। विक्रमादित्य एक महान राजा थे जिन्होंने अपनी राजधानी
उज्जैन बनायी थी ।
3. हितोपदेश
हितोपदेश
दंतकथाएं हैं जो 12 वीं शताब्दी में लिखी गई थीं। संस्कृत भाषा में लिखी गयी यह कथाऐं
अतयंत ही ज्ञान वर्धक है तथा भारत की महान सांस्कृतिक विरासत की झलक इसमें दिखाई पड़ती
है । प्रत्येक कहानी का उद्देश्य युवा मन को जीवन जीने के तरीके, नैतिकता और मूल्यों के बारे में शिक्षित करना है, ताकि वे जिम्मेदार और बुद्धिमान वयस्क बन सकें। यह विशेष संग्रह
बच्चों के लिए आसान भाषा, रंगीन चित्र और आकर्षक कहानियाँ उपलब्ध कराती है । यह शैक्षिक होने
के साथ ही मनोरंजक भी है।
4.मुल्ला नसरुद्दीन के किस्से
मुल्ला नसरुद्दीन एक प्राचीन
फ़ारसी चरित्र है जो सूफी परंपरा के लोककथाओं में दिखाई देता है। विनोदी और विचार
उत्तेजक कहानियां युवाओं
और व्यस्कों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस संग्रह में दुनिया भर के लोकप्रिय हजारों कहानियों में से संकलित किया
गया है। ये उनकी चतुराई, बुद्धिमत्ता
और गहरी संवेदना की कहानियाँ हैं । दमिश्क का बाजार पीछे रह गया था। रात के नौ बजे
का समय था। मुल्ला नसरुद्दीन अपने वफादार गधे के साथ शहर के उस स्थान पर जा पहुँचा, जहाँ शहर के अमीर का महल था। महल
के आगे लॉन था। गधे को बहुत जोर से भूख लगी थी। हरियाली देखकर उससे रुका न गया और
महल की दीवार फाँदकर अंदर घुस गया और मुल्ला नसरुद्दीन दूर जाकर गिरा। नसरुद्दीन
उसे गाली देते हुए बड़बड़ाने लगा। लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ।
5.चाणक्य नीति
विष्णुगुप्त
चाणक्य एक असाधारण बालक थे। उनके पिता चणक एक शिक्षक थे। वह भी शिक्षक बनना चाहते
थे। उन्होंने तक्षशिला विश्वविद्यालय में राजनीति और अर्थशात्र की शिक्षा ग्रहण
की। इसके पूर्व वेद, पुराण इत्यादि वैदिक साहित्य का उन्होंने किशोर
वय में ही अध्ययन कर लिया था।उनकी कुशाग्र बुद्धि और तार्किकता से उनके साथी तथा
शिक्षक भी प्रभावित थे; इसी कारण उन्हें ‘कौटिल्य’ भी कहा जाने लगा।
अध्ययन पूरा करने के बाद तक्षशिला विश्वविद्यालय में ही चाणक्य अध्यापन करने लगे।
इसी दौर में उत्तर भारत पर अनेक विदेशी आक्रमणकारियों की गिद्धदृष्टि पड़ी, जिनमें
सेल्यूकस, सिकंदर आदि प्रमुख हैं। परंतु चाणक्य भारतवर्ष को
एकीकृत देखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने तक्षशिला में अध्यापन-कार्य छोड़ दिया और
राष्ट्रसेवा का व्रत लेकर पाटलिपुत्र आ गए।
6.तेनालीरमन की बुध्दिवर्धक कहानियाँ
हास-परिहास
में राजकाज की ढेरों समस्याएं सुलझाने में पारंगत एक राज विदूषक तेनाली राम के
किस्सों और कहानियों पर आधारित पुस्तक आप सभी के समक्ष प्रस्तुत है। दक्षिण भारत
के राजा कृष्णदेव राय के अष्ट दिग्गजों में तेनाली राम अति विशिष्ठ थे। महान राज
विदूषक, गंभीर से
गंभीर विषय को अपने परिहास द्वारा हल कर देना उनका विशेष गुण था। तेनाली राम का
जन्म गुन्टूर ज़िले के गलीपान्डु नामक गांव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम रामलिंग
था। बचपन में पिता की मृत्यु हो जाने के कारण उन्होंने अपनी माँ के आँचल तले अपने
मामा के साथ ननिहाल 'तेनाली
गांव' में परवरिश
पाई। ननिहाल में रहने के कारण ही इनका नाम 'तेनाली राम' पड़ा। तेनाली राम बचपन से ही बहुत शरारती थे। मामा की मृत्यु हो
जाने के बाद जब गांव में रहकर गुज़र बसर करना मुश्किल हो गया तो यह भटकते हुए
विजयनगर चले आये और अपनी विशिष्ट शैली की हास्य पटुता से राजा कृष्णदेव राय के
अष्ट दिग्गजों में अपना नाम सुरक्षित कर लिया। आशा करते हैं तेनाली राम की विद्वता
से लबरेज़ किस्सों का संकलन पाठकों को पसंद आयेगा।
7.सिंहासन बत्तीसी
राजा
विक्रमादित्य की दानशीलता, वीरता, न्यायप्रियता, प्रजापालन, त्याग और तपस्या से जुड़ी 32 रोचक कहानियाँ।
8.रोचक जातक कथाऐं
क्यों पढे ?
भगवान्
बुद्ध के अनुयायी बुद्ध घोष ने लगभग दो हजार वर्ष पहले जातक कथाएँ लिखीं। जातक
कथाएँ बौद्ध ग्रंथ त्रिपिटक के सुत्त पिटक के खुद्दकनिकाय का हिस्सा हैं। जातक
कथाओं में भगवान् बुद्ध के 547 जन्मों का वर्णन है। कथाओं की विविधता, शैक्षिकता, रोचकता और उपयोगिता को बढ़ाने के लिए इस पुस्तक में भगवान्
बुद्ध के पे्ररक प्रसंगों को भी स्थान दिया गया है। कथाओं में पात्रों के रूप में
पशु-पक्षियों, मनुष्य, सामाजिक परिवेश, भावनाओं इत्यादि सभी का समावेश भगवान् बुद्ध के विराट्
व्यक्तित्व को दरशाता है। इतने सालों बाद आज भी इन अमरकथाओं की प्रासंगिकता
जस-की-तस बनी हुई है। इनके अध्ययन और अनुकरण द्वारा कोई भी नीति-निपुण तथा नैतिक
ज्ञान-संपन्न हो सकता है, इसमें जरा भी संदेह नहीं है। हर आयु वर्ग में पाठकों के लिए
पठनीय, संग्रहणीय
और अनुकरणीय पुस्तक|
9.दादा-दादी की कहानियाँ
क्यों पढे ?
कहानियाँ केवल कहानियाँ
ही नहीं होतीं; ये हमें हमारी संस्कृति और इतिहास से भी परिचित कराती हैं। बचपन में सभी ने
अपने दादा-दादी से कहानियाँ तो अवश्य ही सुनी होंगी। कितना आनंद आता था जब हम
जल्दी खाना खाकर दादा-दादी के कमरे में चल पड़ते और जब तक पलकें नींद से बोझिल
नहीं हो जातीं; तब तक कहानी सुनते ही रहते थे। कभी-कभी तो हम कहानी सुनते-सुनते दादा-दादी
के बिस्तर पर ही सो जाते थे। आज भी जब उन दिनों को याद करते हैं तो मन में एक आनंद
की लहर सी उठने लगती है। प्रस्तुत पुस्तक में कुछ चुनी हुई कहानियों को सरल भाषा
तथा आकर्षक चित्रों के साथ संगृहीत किया गया है; जो हमें कोई-न-कोई पेरणा
अवश्य देती हैं तथा हमें हमारी शिक्षा और संस्कृति का बोध कराती हैं।
10.अकबर बीरबल
क्यों
पढे ?
अकबर और बीरबल की
कहानियाँ भारत के सबसे प्रसिद्ध लोक गाथाओं में से एक हैं,
जो सभी आयु वर्गों के
बीच लोकप्रिय हैं। यह कहानियाँ राजा अकबर और उनके प्रिय दरबारी बीरबल के बीच
मैत्रीपूर्ण नोकझोंक, हँसी और मजाक की कहानियाँ हैं । बीरबल ज्ञान और चतुराई
की वजह से हरबार राजा के उम्मीदों पर खड़ा उतरता है ।
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