ई-पुस्तक
आप सभी पाठकों का स्वागत है । यहाँ हम आपको उन कृतियाँ से अवगत कराना चाहते हैं, जिसे पढकर आनंद महसूस करेंगे। हिंदी साहित्य में शुरुआत से लेकर वर्तमान समय तक बहुत सारी ऐसी पुस्तकें लिखी गयी जो अत्यंत ही पठनीय एवं रोचक है। यहाँ पर कुछ पुस्तकों को उसके परिचय के साथ प्रस्तुत किया गया है, जिससे आप सभी को अपने रुचि अनुसार पुस्तक चयन में आशानी होगी ।
इस भाग में हमने अतयंत पठनीय, मजेदार 10 पुस्तकों को संग्रहित किया है, जिसे यदि आपने पढना प्रारम्भ कर दिया तो बिना समाप्त किए
नहीं रुकेंगे।
1.कोई दिवाना कहता है (Koi Diwana Kahata hai )
कवि: कुमार विश्वास
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क्यों पढें ?
कुमार
विश्वास की गीतात्मक कविताएँ भारत के सांस्कृतिक दर्शन में 'सत्यम, शिवम, सुंदरम' की काव्य कसौटी को पूरा करती हैं, क्योंकि उनमें भावनाओं का सहज प्रवाह, कल्पना का विस्तार और उपयुक्त शब्दावली है।
हालांकि
उम्र में छोटे, वह एक कवि
के रूप में काफी परिपक्व हैं जिनकी पोडियम पर उपस्थिति काफी प्रभावशाली रही है। एक विलक्षण कवि
के रूप में उनकी सुरीली आवाज, विशिष्ट
शैली और उच्च रेंज, अलग दुनिया
के लिए श्रोताओं को ले जाने वाले उनके अलग-अलग उपन्यासों के साथ भी 'एनकोर' को मापते हैं! गोपाल दास नीरज के बाद किसी भी अन्य कवि को दर्शकों
से इतनी तीव्र प्रतिक्रिया नहीं मिली,
जितनी
उन्होंने मंच-प्रदर्शन में हासिल की है।
2.रात पश्मीने की (Raat Pashmine ki )
कवि: गुलजार
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क्यों पढें ?
यह गुलजार की लिखी कुछ कविताओं का संग्रह है । मजमूए
में एकबार फिर त्रिवेणी शामिल है । त्रिवेणी ना तो मुसल्लस है, न हाइकू, न तीन मिसरों में कहीं एक नज्म । त्रिवेणी
नाम इसलिए दिया था कि संगम पर तीन नदियाँ मिलती है । गंगा, जमना, सरस्वति । गंगा और जमना की धारे सतह
पर नजर आते हैं । लेकिन सरस्वति जो तक्षशिला के रास्ते बह कर आती थी, वह जमींदोज हो चुकी है । त्रिवेणी
के तीसरे मिसरे का काम सरस्वति दिखाना है जो पहले दो मिसरों में छुपी हुई है ।
3. नाराज़ (Naraz)
3. नाराज़ (Naraz)
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कवि: राहत इंदौरी
क्यों पढें ?
नाराज़ राहत इंदौरी
राहत की पहचान के कई हवाले हैं - वो रंगों और रेखाओं के फनकार भी हैं, कॉलेज में साहित्य के उस्ताद भी, मक़बूल फिल्म के गीतकार भी हैंऔर हर दिल
अज़ीज़ मशहूर शायर भी है I इन सबके साथ राजनीतिक और सामाजिक
परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में इंसान की अंदरुनी और बाहरी कश्मकश के
प्रत्यक्षदर्शी भी हैं I राहत की शख़्सियत के तमाम पहलू उनकी ग़ज़ल के
संकेतों और प्रतीकों में छलकते हैं I उनकी शायरी की सामूहिक प्रकृति विद्रोही
और व्यंगात्मक है, जो सहसा ही परिस्तिथियों का ग़ज़ल के द्वारा सर्वेक्षण और
विश्लेषण भी है I राहत की शायरी की भाषा भी उनके विचारों की तरह सूफ़ीवाद का
प्रतिबिंब है I प्रचारित शब्दावली और अभिव्यक्ति की प्रचलित शैली से अलग अपना
रास्ता बनाने के साहस ने ही राहत के सृजन की परिधि बनाई है I निजी अवलोकन और अनुभवों पर विश्वास ही उनके शिल्प की सुंदरता और
उनकी शायरी की सच्चाई है I - निदा फाज़ली
4. मिर्जा गालिब
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क्यों पढें ?
मिर्जा गालिब की
शायरी अपने अद्वितीय साहित्यिक स्तर, भाषा सौंदर्य और रसपूर्णता के कारण पिछली
एक सदी से चर्चित है। गालिब का कलाम गूढ़ होने के कारण इस के प्रायः तरहतरह
के अर्थ निकाल लिए जाते हैं- हिंदी काव्यप्रेमी पाठकों को फारसी या उर्दू का ज्ञान
नहीं होने के कारण शेरों को समझने में बड़ी कठिनाई होती है। हिंदी में पहली
बार प्रकाशित इस दीवान में प्रत्येक शेर के साथसाथ उस का भावार्थ भी दिया गया है
ताकि पाठक गालिब की कविता का पूरी तरह रसास्वादन कर सकें।..
5. दुनिया जिसे कहते हैं
निदा फाजली
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क्यों पढें ?
निदा फ़ाज़ली उन दिनों से हिन्दी
पाठकों के प्रिय हैं, जिन दिनों
हिन्दी के पाठक मीर, ग़ालिब, इकबाल फ़िराक़, आदि के अलावा शायद ही किसी नये उर्दू शायर को जानते हों। आठवें
दशक के आरम्भ में ही उनके अनेक शेर हिन्दी की लाखों की संख्या में छपने वाली
पत्रिकाओं धर्मयुग, सारिका आदि
के माध्यम से हिन्दी पाठकों के बीच लोकप्रिय हो चुके थे और अधिकांश हिन्दी पाठक
उन्हें हिन्दी का ही कवि समझते थे। 'दुनिया जिसे कहते हैं', में उनकी प्रसिद्ध और प्रतिनिधि ग़ज़लों और नज़्मों को शामिल
किया गया है। बहुत-सी रचनाएँ हिन्दी के पाठकों को पहली बार पढ़ने को मिलेंगी।
प्रयास किया गया है कि उनकी श्रेष्ठ रचनाओं का एक प्रामाणिक संकलन देवनागरी में
सामने आए।
6.ख्वाबों के गाँव में
जावेद अख्तर
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क्यों पढें ?
जावेद अख़्तर जिंदगी के दिन-रात की आपाधापी.
अच्छे-बुरे, सुख-दुःख, ख़ुशी और ग़म को फिल्म के सीने की तरह दर्शक के नज़रिये से देखते हैं. वे तमाम
हालात जो ज़िन्दगी को चाहे खुशनुमा बनाते हों या फिक्रमंद और परेशां करते हों, उनको मुक्त भाव से जीते हैं और उनकी शख्शियत का यह कोण उन्हें दार्शनिकों
की पंक्ति में खड़ा कर देता है|
इस किताब में उनकी ही कही और लिखी बातों को लिया गया है, और हमें इसमें उनके द्वारा गहराई से महसूस की गई अभिव्यक्तियाँ मिलेंगी ।
इस किताब में उनकी ही कही और लिखी बातों को लिया गया है, और हमें इसमें उनके द्वारा गहराई से महसूस की गई अभिव्यक्तियाँ मिलेंगी ।
7.इंतेखाब ए इकबाल (INTEKHAB E IQBAL)
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इकबाल
क्यों पढें ?
अल्लामा
इक़बाल की 50 बेहतरिन
नज़मो का इंतेखाब
इस अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक-माला की शुरुआत 1960 के दशक में हुई जब पहली
बार नागरी लिपि में उर्दू की चुनी हुई शायरी के संकलन प्रकाशित कर राजपाल एण्ड
सन्ज़ ने हिन्दी पाठकों को उर्दू शायरी का लुत्फ़ उठाने का अवसर प्रदान किया। इस
पुस्तक-माला का संपादन उर्दू के सुप्रसिद्ध संपादक प्रकाश पंडित ने किया था। हर
पुस्तक में शायर के संपूर्ण लेखन में से बेहतरीन शायरी का चयन है और पाठकों की
सुविधा के लिए कठिन शब्दों के अर्थ भी दिए हैं। प्रकाश पंडित ने हर शायर के जीवन
और लेखन पर - जिनमें से कुछ समकालीन शायर उनके परिचित भी थे - रोचक और चुटीली
भूमिकाएं लिखी हैं। आज तक इस पुस्तक-माला के अनगिनत संस्करण छप चुके हैं।
अब इसे एक नई साज-सज्जा में प्रस्तुत किया जा रहा है जिसमें उर्दू शायरी के जानकार
सुरेश सलिल ने हर पुस्तक में अतिरिक्त सामग्री जोड़ी है।‘फैज़’ आज के उर्दू शायरों में सबसे अधिक लोकप्रिय हैं. उनकी शायरी ने उर्दू
ग़ज़लों और नज़्मों को एक नया रंग, एक नया तेवर दिया है. नयी
पीढ़ी का कोई भी शायर ऐसा नहीं कि वह ‘फैज़’ से प्रभावित न हुआ हो. रूप और रस, प्रेम, राजनीति, कला और विचार का जैसा संगम फैज़ अहमद ‘फैज़’ ने प्रस्तुत किया है, उनकी इस देन पर जितना भी गर्व करें, कम है ।
8.लोकप्रिय शायर और उनकी शायरी
क्यों पढें ?
9. दीवान-ए-मीर
मीर तक़ी मीर
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क्यों पढें ?
दीवान-ए-मीर -- मीर तक़ी मीर भारतीय कविता
के उन बड़े नामों में से हैं, जिन्होंने लोगों के दिलो-दिमाग़ में स्थान
बनाया हुआ है। अपनी शायरी को दर्द और ग़म का मज़मूआ बताते हुए मीर ने यह भी कहा है
कि मेरी शायरी ख़ास लोगों की पसन्द की ज़रूर है, लेकिन ‘मुझे गुफ़्तगू अवाम से है।’ और अवाम
से उनकी यह गुफ़्तगू इश्क की हद तक है। इसलिए उनकी इश्किया शायरी भी उर्दू शायरी के
परम्परागत चौखटे में नहीं अँट पाती। इन्सानों से प्यार करके ही वे ख़ुदा तक पहुँचने
की बात करते हैं, जिससे इस राह में मुल्ला-पंडितों की भी कोई भूमिका नज़र नहीं
आती। यही नहीं, मीर की अनेक ग़ज़लों में उनके समय की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थितियों तथा व्यक्ति और समाज की आपसी
टकराहटों को भी साफ़ तौर पर रेखांकित किया जा सकता है, जो उन्हें आज और भी अधिक प्रासंगिक बनाती हैं। दरअसल मीर की
शायरी भारतीय कविता, ख़ास कर हिन्दी-उर्दू की साझी सांस्कृतिक
विरासत का सबसे बड़ा सबूत है, जो उनकी रचनाओं के लोकोन्मुख कथ्य और
आम-फहम गंगा-जमुनी भाषायी अंदाज़ में अपनी पूरी कलात्मक ऊँचाई के साथ मौजूद है।
10.साहिर समग्र
आशा प्रभात
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क्यों पढें ?
यह किताब उनकी
रचनाओं का समग्र है, अभी तक उपलब्ध उनकी तमाम गज़लों, नज़्मों और गीतों को इसमें इकट्ठा करने की
कोशिश की गई है। उम्मीद है दर्द-पसन्द पाठकों को इसमें अपना वह खोया घर मिल जाएगा
जो इधर की चमक-दमक में खो गया है एक ऐसे परिवार में पैदा होकर, जिसका शायरी और अदब से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं था, और एक ऐसे पिता का पुत्र होकर जिसके साथ उनके सम्बन्ध कभी पिता-पुत्र जैसे
नहीं रहे और एक ऐसे समाज में जीकर जिसका सस्तापन, नाइंसाफी और संकीर्णताएँ उनकी उदास आँखों
से बचकर निकल नहीं पाती थीं, उन्होंने वह कमाया जिसे भले ही उस वक्त के
आलोचकों ने बहुत मान नहीं दिया, लेकिन जो आम आदमी की यादों में हमेशा के
लिए पैठ गया। फिल्मों में आने से पहले ही वे अपने समय के सबसे लोकप्रिय और चहेते
शायरों में शुमार हो चुके थे।साहिर की ऐसी कई नज़्में और गज़लें हैं, और गीत भी, जिनमें उन्होंने समाज की आलोचना दो-टूक लहजे में की है।
प्रगतिशील आन्दोलन से जुड़े साहिर की चिन्ताओं में गाँव में भूख और अकाल से जूझ
रहे किसानों के दुख से लेकर शहरों में भूख के हाथों बिकतीं-बेइज़्ज़त होतीं
वेश्याओं तक का दर्द एक जैसी गहराई से आया है, जिसका मतलब यही है कि दुख को देखना, जीना और पकडऩा, शायर के
रूप में यही उनका एकमात्र कौशल था, और इसी के विस्तार में उन्होंने हर माथे की हर सिलवट को पिरोकर
तस्वीर बना दिया।