Narendra Kohali, a trend setter author
नरेंद्र कोहली हिंदी के जानेमाने साहित्यकार हैं, जिन्होंने नई धारा का सूत्रपात किया । उन्होंने
पौराणिक कथाओं को आधार बनाकर साहित्य रचना की । उन्हें पद्मभूषण द्वरा सम्मानित
किया गया है । उनकी रचना ‘ न भूतो न भविष्यति’ के लिए उन्हें २०१२ का व्यास सम्मान प्रदान किया गया
है । उनकी रचनाओं के बारे में कहा जाता है
कि मानवता के कल्याण के लिए नैतिकता का उच्च स्तर
बनाये रखने के लिए लिखी गयी है, जो न तो साम्प्रदायिक है और न ही पुनरुत्थानवादी । इन
कथाओं के सभी पात्र नये रुपों में सामने आये हैं ।
इस भाग में अतयंत
पठनीय, मजेदार 10 पुस्तकों को
संग्रहित किया गया है, जिसे आपने पढना प्रारम्भ कर दिया तो बिना समाप्त
किए नहीं रुकेंगे।
लेखक : नरेंद्र कोहली
क्यों पढें ?
प्रसिद्ध लेखक नरेंद्र
कोहली का यह उपन्यास राम चरित्र पर आधारित है ।यह एक महाकाव्य उपन्यास है जो1800 पृष्ठों में है तथा चार भागों बंटा है ।
संपूर्ण राम कथा पर आधारित किसी भी भाषा में यह पहला उपन्यास है। इसने हिंदी कथा
साहित्य को बदल दिया और इसे व्यापक रूप से मनाया जाने लगा। इस कहानी का लक्ष्य
जीवन के उदात्त, उच्च और सरल पहलुओं को चित्रित करना है।
2. ना भूतो ना भविष्यति
लेखक : नरेंद्र कोहली
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क्यों पढें ?
ना भूतो ना भविष्यति यह उपन्यास इसलिए पठनीय है कि इसे व्यास सम्मान 2012
से पुरस्कृत किया गया है । स्वामी विवेकानंद के जीवन पर लिखी गयी यह पुस्तक वास्तव
में जीवनी नहीं है, बल्कि उनके लक्ष्य,
कर्म और
संघर्ष को आधार बनाकर लिखी गयी है । इसकी शैली उच्च गुण्वत्ता की है एवं अत्यंत पठनीय
है ।
3. वसुदेव
लेखक : नरेंद्र कोहली
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क्यों पढें ?
प्रसिद्ध लेखक,
नरेंद्र कोहली का
उपन्यास ‘वसुदेव’ जीने की परम इच्छा की कहानी है। देवकी और वसुदेव
के सामने आने वाली कठिनाइयाँ इस दुनिया की किसी भी चीज के लिए अतुलनीय हैं। जीवन
भर गुलामों की तरह रहने के कारण, उन्हें यह देखने के लिए मजबूर होना पड़ा कि उनके
छह बेटों की हत्या कर दी गई। परिवार, समुदाय और साम्राज्य के अंदर कोई सहायता मिलने की
कोई संभावना नहीं थी, फिर भी संघर्ष को बनाए रखने के लिए उनकी शक्ति में किसी प्रकार का ग्रहण नहीं लगा।
वसुदेव के संघर्ष की कहानी वास्तव में अपने पुत्र को जिवित रखने के लिए गये प्रयास
की कहानी नहीं है, बल्कि राजनीति की सतह के नीचे एक दुष्ट और
शक्तिशाली शासक के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए संघर्ष की कहानी है ।
4.
वरुणपुत्री
लेखक : नरेंद्र कोहली
क्यों पढें ?
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2017 में ‘पद्मश्री’ और 2012 में ‘व्यास सम्मान’ से नवाज़े गये नरेन्द्र कोहली की
गणना हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों में होती है। 1947 के बाद रचित हिन्दी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य
है। उन्होंने प्राचीन महाकाव्यों को आधुनिक पाठकों के लिए गद्य रूप में लिखने का
एक नया चलन शुरू किया और पुराणों पर आधारित अनेक साहित्यिक कृतियाँ रचीं। नरेन्द्र कोहली ने अपनी चिरपरिचित छवि से हटकर
वरुणपुत्री की रचना की है। इसमें पौराणिक कथाएँ, इतिहास, समकालीन घटनाएँ, कल्पित विज्ञान-कथा और फ़ैंटेसी का एक अद्भुत ताना-बाना
रचा है। इसकी कथा वस्तु का फ़लक इतना व्यापक है कि इसमें उन्होंने धरती के सभी
देशों के अतिरिक्त अन्य ग्रहों और आकाश गंगा को भी सम्मिलित किया है। राजनीति, पर्यावरण सुरक्षा, विश्व-शांति को समेटे हुए यह कथा समय और भूगोल की
सारी सीमाओं को लाँघती ही चली जाती है और पाठक आनन्द और विस्मय भरी इस रचना में
डुबकी के बाद डुबकी लगाता रहता है।तोड़ो कारा तोड़ो, वासुदेव, साथ सहा गया दुख, हत्यारे, अभिज्ञान और आतंक उनकी अन्य लोकप्रिय पुस्तकें हैं।
5.
शिखण्डी
लेखक : नरेंद्र कोहली
क्यों पढें ?
पितामह
ने बड़े उत्साह से कहा, “तुम
लोग जानते ही हो कि तुम्हारी सेना में मेरे वध के लिए कौन सबसे अधिक उत्कण्ठित है।"
“शिखण्डी।” सारे पाण्डव सहमत थे। पितामह हँस पड़े, “अम्बा ने ही पुनर्जन्म लिया है। वह अन्तिम बार विदा
होते हुए कह गयी थी कि वह उस जन्म में मेरी हत्या न कर पायी तो दूसरा जन्म लेगी।
लगता है शिखण्डी के रूप में आयी है, नहीं तो मुझसे क्या इतनी शत्रुता है शिखण्डी की। पता
नहीं यह उनकी शत्रुता है या प्यार है। प्रेम नहीं मिला तो शत्रुता पाल ली। कौन
जाने लोहा-चुम्बक एक-दूसरे के शत्रु होते हैं या मित्र। किन्तु वे एक-दूसरे की ओर
आकृष्ट अवश्य होते हैं। शिखण्डी मेरी ओर खिंच रहा है।... शिखण्डी या शिखण्डिनी।...”
पितामह हँसे, “शिखण्डी
को अनेक लोग आरम्भ में स्त्री ही मानते रहे हैं। मैं आज भी उसे स्त्री रूप ही
मानता हूँ। लगता है कि कुछ देय है मेरी ओर। अम्बा को उसका देय नहीं दे पाया।
शिखण्डिनी को दूँगा। उसकी कामना पूरी करूँगा। उसे कामनापूर्ति का वर देता हूँ।”
6. शरणम
लेखक : नरेंद्र कोहली
क्यों पढें ?
कोई
नई पुस्तक प्रकाशित होती है तो प्रायः लेखक से पूछा ही जाता है कि उसने वह पुस्तक
क्यों लिखी। वही विषय क्यों चुना? मैं भी मानता हूँ कि बिना कारण के कोई कार्य नहीं होता।
किन्तु सृजन के क्षेत्र में यह मामला इतना स्थूल नहीं होता। इसलिए मुझे तो सोचना
पड़ता है कि पुस्तक मैंने लिखी या पुस्तक मुझ से लिखी गई। विषय मैंने चुना अथवा
विषय ने मुझे चुना? मैं
रहस्यवादी होने का प्रयत्न नहीं कर रहा हूँ किन्तु सृजन का क्षेत्र मुझे कुछ ऐसा
ही लगता है। गीता को मैंने पहली बार शायद अपने विद्यालय के दिनों में कुछ न समझते
हुए भी पढ़ने का प्रयत्न किया था। कारण? मेरा स्वभाव है कि मैं जानना चाहता हूँ । मैं
उपन्यास लिख सकता हूँ और पाठक उपन्यास को पढ़ता भी है और समझता भी है। मैं जानता था
कि यह कार्य सरल नहीं था। गीता में न कथा है, न अधिक पात्र। घटना के नाम पर बस विराट रूप के दर्शन
हैं। घटनाएँ नहीं हैं, न
कथा का प्रवाह है। संवाद हैं, वह भी नहीं, प्रश्नोत्तर हैं, सिद्धान्त हैं, चिन्तन है, दर्शन है, अध्यात्म है। उसे कथा कैसे बनाया जाए?
7. हिडिम्बा
लेखक : नरेंद्र कोहली
क्यों पढें ?
महाभारत
का एक प्रमुख पात्र तथा महाबली भीम की पत्नी हिडिम्बा के बारे में यह उपन्यास लिखा
गया है । हिडिम्बा एक राक्षसी थी, परंतु उसके अंदर मनवीय प्रेम का जो उदाहरण मिलता
है वह अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता है । अपने पति के प्रति समर्पण ही उसे एक
प्रमुख पात्र बनाता है । भीम
को देखते ही हिडिम्बा उस पर मोहित हो गई इस कारण उसने भीम के भाइयों एवं
उसकी माता को नहीं मारा, यह
बात हिडिंब को बहुत बुरी लगी । हिडिंब हिडिम्बा का भाई था । तब क्रोधित होकर हिडिंब ने पाण्डवों पर हमला
किया, इस युद्ध में भीम ने उसे मार डाला जिसके बाद वहाँ
जंगल में कुंती की सहमति से हिडिंबा से विवाह रचाया ।
8.प्रच्छन्न
लेखक : नरेंद्र कोहली
क्यों पढें ?
पांडवों
का अज्ञातवास, महाभारत-कथा का एक बहुत
आकर्षक स्थल है । दुर्योधन की गृध्र दृष्टि से पांडव कैसे छिपे रह सके ? अपने अज्ञातवास के लिए पांडवों ने विराटनगर को ही
क्यों चुना ? पांडवों के शत्रुओं में
प्रछन्न मित्र कहाँ थे और मित्रों में प्रच्छन्न शत्रु कहाँ पनप रहे थे ? ऐसे ही अनेक पश्नों को समेटकर आगे बढती है,महासमर के इस छठे खंड प्रच्छन्न की कथा।
9.निर्बन्ध
लेखक : नरेंद्र कोहली
क्यों पढें ?
‘महासागर’ हमारा काव्य भी है, इतिहास भी और अध्यात्म भी। हमारे प्राचीन ग्रंथ शाश्वत सत्य की चर्चा करते
हैं। वे किसी कालखंड के सीमित सत्य में आबद्ध नहीं हैं, जैसा कि यूरोपीय अथवा यूरोपीयकृत मस्तिष्क अपने
अज्ञान अथवा बाहरी प्रभाव में मान बैठा है। नरेंन्द्र कोहली ने न महाभारत को नए
संदर्भो में लिखा है, न
उसमें संशोधन करने का कोई दावा है। न वे पाठको को महाभारत समझाने के लिए, उसकी व्याख्या कर रहे हैं। नरेन्द्र कोहली यह नहीं
मानते कि महाकाल की यात्रा, खंडों
में विभाजित है, इसलिए जो घटनाए घटित हो
चुकी हैं, उनमें अब हमारा कोई संबन्ध नहीं है, उनकी मान्यता है कि न तो प्रकृति के नियम बदले हैं, न मनुष्य का मनोविज्ञान। मनुष्य की अखंड कालयात्रा
को इतिहास खंड़ों में बाँटे तो बाँटे, साहित्य उन्हें विभाजित नहीं करता, यद्यपि ऊपरी आवरण सदा ही बदलते रहते हैं ।
10.अहल्या
लेखक
: नरेंद्र
कोहली
क्यों
पढें ?
यह उपन्यास पौराणिक पात्र अहल्या के साथ देवराज इंद्र
द्वारा किए गए दुष्कर्म और उनके पति द्वारा उनके पक्ष में खड़े होकर देवराज इंद्र
जैसी शक्ति को बेनकाब करने के लिए उनके विरुद्ध किए जाने वाले संघर्ष पर आधारित है|