मनोवैज्ञानिकों के अनुसार ‘हंसी’ तनाव कम करने में सहायक होती है साथी है दिमाग की क्षमता बढाती है और शरीर को स्वस्थ रखती है । इसीलिए ‘हंसी’ को एक अच्छी दवा बतायी गयी है । जोक्स सुनाना या सुनना का महत्व इसलिए भी बढ जाता है, आजकल जहाँ लोग सिमटते जा रहे हैं, आपस में बातचित कम होती है, वहीं जोक्स सुनाकर एक दूसरे का मन बहलाया जा सकता है, एक दूसरे के करीब आया जा सकता है । यहाँ हम कुछ Hindi Jokes Book का परिचय दे रहें, जिसे पढकर आप स्वंय तथा दूसरों को गुदगुदा सकते हैं, आज के तनाव भरी जिंदगी में थोड़ी सी राहत पा सकते हैं । Chutkule book hindi
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संता टुरिस्ट दिल्ली गये । घंटाघर के पास उन्हें लगातार घड़ी की ओर निहारता देख एक व्यक्ति ने उन्हें प्रस्ताव दिया, “ आप यह घड़ी खरीद सकते हैं, लाइए हजार रुपए ।"
संता टुरिस्ट
प्रसन्न हुए और फौरन हजार रुपए निकाल कर दे दिए । वह व्यक्ति “ अभी सीढी लाता हूँ ”
कहकर गायब हो गया । काफी देर इंतजार करने के
बाद संता को आभास हुआ कि वह ठगे गए । निराश होकर वह होटल चले गए । अगले दिन उसी जगह
फिर से घड़ी देखते हुए वही व्यक्ति उन्हें मिल गया और उसने फिर से वही प्रस्ताव दिया
।
संता इसबार सतर्क
थे, बोले, और तो सब ठीक है लेकिन इस
बार सीढी लेने मैं जाऊँगा ।
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“ कटा हुआ ।“ ढब्बू जी ने कहा ।
“ कितने टुकड़े करूँ ? चार या आठ ?”
“ चार ही करो जी, आठ टुकड़ा खाना जरा मुश्किल होता है ।“
ढब्बूजी की ख्याति का राज क्या है ? क्यों ढब्बूजी का चुटकला पढकर बूढे भी बच्चे बन जाते हैं ? ऐसी क्या बात है डब्बूजी के हँसगुल्लों में कि मम्मी पापा भी सबकुछ भूलकर उनमें
रम जाते हैं ।
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इस किताब में सम्मलित तीन कहानियां,
असल मे जीवन मे घटित हो रहे कुछ चटक दार, गुदगुदाते
किस्सों को इकट्ठा करने की एक कोशिश है। ये कोई नये किस्से नही है, ये
हमारे आस पास हो रही आम घटनाक्रम मात्र है, जिसे आपके मनोरंजन के लिये बिखरे हुए हँसी के
मोतियों को एक धागे में पिरोके पेश करने को कोशिश की गई है। इसे पढकर देखें आपको जरूर
आनंद आएगा । अपने आपको खुश रखना एक कला है, अवसाद से दूर रहने के लिए यह आवश्यक है कि स्वयं को
व्यस्त रखें, इन
हास्य पुस्तकों को पढते हुए आप जरा भी बोझिल महसूस नहीं करेंगे ।
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सत्तर-अस्सी के दशक में अशोक चक्रधर का नाम बड़ी तेजी से उभरा और बड़ी
जल्दी उन्होंने काव्य-जगत् में अपनी पहचान बना ली तथा मंच की लोकप्रिय कविता के नए
मानक तैयार किए। देश-विदेश के हिंदी प्रेमियों के बीच उन्होंने अत्यंत स्नेह और
आदर पाया। वे कवियों के कवि हैं।
डॉ. कुँअर बेचैन उनके बारे में कहते हैं—‘‘अशोक चक्रधर ऐसी आँख है; जिससे
कुछ छिपता नहीं; ऐसा
वृक्ष है; जिसकी
छाया में विश्राम और शांति मिलती है; ऐसा दरिया है; जिसकी लहरों पर हम अपने प्रयत्नों और सपनों की
नाव सरलता से तैरा सकते हैं; प्रेम का ऐसा बादल है; जो
सब पर बरसता है; पसीने
की ऐसी चमकदार बूँद है; जो श्रम-देवता के माथे की शोभा बढ़ाती है; ऐसी
सुबह है; जिसके
पास आकर नींद खुलती है; ऐसी नींद है; जो नए सपने जगाती है और ऐसा फूल है; जो
हर पल महकता है; खिलता
है और दूसरों के होंठों को अपनी खिलखिलाहट देता है।’’
इस संकलन में उनकी ऐसी प्रतिनिधि कविताएँ संकलित हैं; जिन्होंने
कवि सम्मेलनों का मिजाज निर्धारित किया। समय आगे बढ़ता जा रहा है; लेकिन
उनकी कविता के कथ्य आज भी प्रासंगिक हैं।
पति-पत्नी के चुटकले :
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पत्नी : आप बहुत भोले हैं । आपको कोई भी बेवकूफ बना सकता है ।
पति : शुरूआत तो तेरे बाप ने की थी ।।
पत्नी : मैं कब से पूछ रही हूं कि आपके जीवन की सबसे बड़ी समस्या क्या है
? बस, मुझे
ही घूरे जा रहे हो, कुछ बताते क्यों नहीं ??
पति: तुम बहुत प्यारी हो ।
पत्नी : थैंक्स,
पति : तुम बिल्कुल राजकुमारी जैसी दिखती हो ।
पत्नी : थैंक्यू सो मच और बताओ क्या कर रहे हो ?
पति : मजाक ॥
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