हिंदी की कहानियां : हिंदी में कहानियाँ लेखन व पाठन की परंपरा बहुत
पुरानी है । बचपन से ही यहाँ रामायण, महाभारत व पुराणों से संबंधित कहानियाँ
सुनी-सुनाई जाती है । घर के बुजुर्ग जैसे कि नाना-नानी, दादा-दादी,
चाचा-चाची, माता-पिता इत्यादि छोटे बच्चों को कहानियाँ
सुनाते हैं, जिस कारण कहानियों में लोगो की रुचि बनी रहती है
। जिस किसी वय के व्यक्ति हों, उन्हें समय-समय पर कहानियों के
माध्यम से अपनी बात रखने में सहायता मिलती है । लोगों को किसी विषय को समझने में भी
आसानी होती है । अत: कहानी बहुत ही प्रचलित माध्यम है जिसकी मदद से लोग बहुत रुचि के
साथ सुनते और कहते हैं । Hindi Story eBooks पर हम आपको इनका संक्षिप्त परिचय दे रहे हैं ।
Hindi Kahaniyan : -
हिंदी साहित्य में हजारों कहानियाँ लिखी गई है । लगभग सभी साहित्यकारों ने कहानियाँ लिखी है । प्रेमचंद की कहानियाँ तो लोगों के जुबान पर चढी हुई है । ग्रामीण समाज में लोग उनकी कहानियों को दृष्टांत के रुप में लेते हैं । उनकी कहानी ‘पंचपरमेश्वर’ की चर्चा अक्सर सुनी जाती है । उनकी अन्य कहानियाँ जैसे कि बूढी काकी, बड़े घर की बेटी, दो बैलों की कथा, ईदगाह, परीक्षा, ठाकुर का कुआँ, पूस की रात, गुल्ली-डंडा इत्यादि सर्वाधिक लोकप्रिय है । हिंदी क्षेत्र में ये कहानियाँ काफी चर्चित है । उन्होंने लगभग दो सौ पचास से अधिक कहानियाँ लिखी है, जिसमें अधिकांश पढी जाती है । इस कारण प्रेमचंद का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है । उनकी कहानियाँ पढने के लिए यहाँ क्लिक करें ।
कहानीकारों में जयशंकर प्रसाद का नाम अग्रणी है । उन्होंने सत्तर से अधिक कहानियां लिखी है । गुंडा, ग्राम, ममता, स्वर्ग के खंडहर, उर्वशी, बभ्रुबाहन इत्यादि उनकी प्रमुख कहानियाँ है, जिन्हें बड़े चाव के साथ पढी जाती है। हलांकि मूल रुप से उन्हें कवि और नाटककार के रूप में जाना जाता है, जिस कारण उनकी कहानायों पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया । उनकी कहानियां की ऐतिहासिक पृष्ठिभूमि होने के कारण पठन की सहज अभिरूचि जागृत होती है। उन्होंने कहानी लेखन की परंपरा को नए सिरे से परिभाषित किया है । उनकी पहली कहानी ‘ग्राम’ एक यथार्थवादी कहानी थी जिसे पहला आधुनिक कहानी मानी गयी है ।
फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियां अद्भुत है । उनकी कहानियों में मारे गए गुलफाम ( तीसरी कसम), एक आदिम रात्रि की महक, लाल पान की बेगम, पंचलाइट, ठेस, तबे एकला चलो रे, संवदिया इत्यादि सर्वाधिक लोकप्रिय है । तीसरी कसम पर इसी नाम से फिल्म भी बनी है, जिसके मुख्य कलाकार थे राजकपूर और वहीदा रहमान । इस फिल्म को हिंदी सिनेमा में मील का पत्थर माना जाता है । इस फिल्म में हीरामन और हीराबाई के प्रेमकथा को बहुत ही कव्यात्मक तरीके से प्रदर्शित किया गया है जो दर्शकों को लुभाता है । रेणु एक अद्भुत कहानीकार थे, उनकी रचना पढते हुए हुए ऐसा लगता है, मानो कोई कहानी सुना रहा हो । ग्राम्य जीवन के लोकगीतों को उन्होंने अपने कथा में बड़े ही सृजनात्मक तरीके से उपयोग किया है ।
आधुनिक समय में एक बड़े कथाकार हैं काशीनाथ सिंह । नई कहानी आन्दोलन के तत्काल बाद कथाकारों की जो पीढी सामने आई, उसके सबसे चमकदार नक्षत्रों में काशीनाथ सिंह का नाम आता है । उन्होंने हिंदी कहानी को एक नया तेवर और मुहावरा दिया । उनकी कुछ कहानियां बहुत लोकप्रिय हुई । ‘काशी का अस्सी’ उनकी प्रसिद्ध रचना है । इसमें पाँच कहानियां है । इस रचना पर इसी नाम से फिल्म भी बन चुकी है । इनकी कुछ कहानियां इस प्रकार है, वर चाहिए तो इधर आइए, बांस, विलेन, सदी का सबसे बड़ा आदमी, मुसइ चा, जंगलजातकम, कहानी सरायमोहन की इत्यादि ।
नई कहानी आंदोलन के प्रमुख स्तम्भों में राजेंद्र यादव का नाम अग्रगण्य है । उनकी कहानियां हिंदी साहित्य के गागर को विविधताओं से भर दिया । वे हंस के संपादकीय के लिए जितने विवादों से घिरे रहे, वह उन्हें समकालीन सहित्यकारों की पंक्ति में सबसे आगे खड़ा करता है । अभी तक के सभी रचनाकारों में उनकी तार्किक शक्ति सबसे अधिक तिक्ष्ण रही है । उनकी कहानियों में देवताओं की मूर्तियां, खेल-खिलौने, जहाँ लक्ष्मी कैद है, छोटे-छोटे ताजमहल, किनारे से किनारे तक टूटना, हासिल, ढोल और अपने पार प्रमुख है । कहानी के अतिरिक्त भी उनके साहित्य का संसार काफी बड़ा है । उपन्यास, निबंध, समीक्षा इत्यादि विधाओं पर भी उन्होंने खुल कर लिखा है । उनके संपादकीय को ‘कांटे की बात’ नाम से प्रकाशित किया गया है, जो शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है ।इनमें न लिखने का कारण, अनपढ बनाए रकहने की साजिश, गुलामी का आनंद और स्वतंत्रता के खतरे, आगे रास्ता बंद है, खंड-खंड पाखंड, खामोश चिंतन चालू आहे, अंधेरों से उठती गुहार इत्यादि प्रमुख है ।
कांटे की बात पढते हुए जिस तार्किकता से आपका परिचय होगा, वह आपको अचम्भित तथा हतप्रभ करेगी । समाजिक रूढियों एवं जातिवादी व्यवस्था की कुरीतियों को परत-दर परत उधेड़ने में उन्होंने कोई कोशिश छोड़ी नहीं है । यदि आपको इसे पढने का मौका मिलता है तो अवश्य पढिए ।
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गिरिराज किशोर की कहानियों की यह विशेषता है कि इनमें समकालीन जीवन को समझने-बूझने के सूत्र प्राप्त होते हैं। ये सूत्र जीवन-जगत् के भविष्य को भी इंगित करते हैं। इन सूत्रों में रचना समय के राजनीतिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, उच्च तकनीकी (मोबाइल मैसेज संस्कृति) के श्वेत-श्यामल पक्षों, भाषिक क्षेत्रों के आंतरिक इतिहास को भी स्पष्ट देखा-परखा जा सकता है। सामयिकता से भरपूर तथा समय का अतिक्रमण करने की यह क्षमता कृतिकार के सृजन को अमरत्व की ओर अग्रसर करती है।
प्रस्तुत संग्रह की कहानियों में कथाकार ने बृहत्तर समाज के कई रूपों, स्थितियों के वैयक्तिक एवं सार्वजनिक चित्र अंकित किए हैं। इस अंकन में बारीकी के साथ उन अदृश्य कारकों को भी प्रतीकात्मक ढंग से उल्लिखित किया है, जो मनुष्य और समाज की अंतर्क्रिया के फलस्वरूप अभौतिक संस्कृति को बहुत धीमे-धीमे क्षरित करते सांस्कृतिक और शाश्वत मूल्यों के अवमूल्यन अथवा पूर्णक्षरण को रेखांकित करते हुए क्रमशः अर्वाचीन मनुष्य और समाज को, प्राचीन मनुष्य और समाज से पूर्णतः पृथक् करते, सर्वथा बदले चेहरे में प्रस्तुत करके सांस्कृतिक विलंबना और विडंबना को व्याख्यायित करते हैं।
कथा-रस से भरपूर ये कहानियाँ मनोरंजन के साथ-साथ समाज-जीवन की
विसंगतियों-विद्रूपताओं को उजागर करती हैं, जिससे ये पाठक को अपनी सी लगती हैं।
हिन्दी साहित्य के आधुनिक कहानीकारों में कमलेश्वर की कहानियों का
ऊंचा स्थान है। कहानी को एक सार्थक और समानतापरक मोड़ देने में इनका बड़ा हाथ रहा
है। इसी कारण अपेक्षाकृत कम लिखकर भी इन्होंने बहुत ख्याति अर्जित की। इस संकलन
में कमलेश्वर की अपनी प्रिय कहानियां, उनकी कहानी-सम्बन्धी मूल धारणाओं को व्यक्त करने
वाली भूमिका के साथ, संकलित हैं।
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हिंदी कहानीकारों में यशपाल का नाम उल्लेखनीय है । उन्हें साहित्य की उत्कृष्ट सेवा के लिए वर्ष 1070 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था ।
उनकी कहानी की दुनिया बहुत बृहद है । हलांकि उनके लेखन की प्रमुख विधा उपन्यास है, लेकिन अपने लेखन की शुरूआत उन्होने कहानियों से ही की थी । उनकी कहानियाँ अपने समय की राजनीति से उस रूप में आक्रांत नहीं हैं, जैसे उनके उपन्यास। नई कहानी के दौर में स्त्री के देह और मन के कृत्रिम विभाजन के विरुद्ध एक संपूर्ण स्त्री की जिस छवि पर जोर दिया गया, उसकी वास्तविक शुरूआत यशपाल से ही होती है।
आज की कहानी के सोच की जो दिशा है, उसमें यशपाल की कितनी ही कहानियाँ बतौर खाद इस्तेमाल हुई है। वर्तमान और आगत कथा-परिदृश्य की संभावनाओं की दृष्टि से उनकी सार्थकता असंदिग्ध है। उनके कहानी-संग्रहों में पिंजरे की उड़ान, ज्ञानदान, भस्मावृत्त चिनगारी, फूलों का कुर्ता, धर्मयुद्ध, तुमने क्यों कहा था, मैं सुन्दर हूँ और उत्तमी की माँ प्रमुख हैं।
1 comments:
Good work 👍 keep it up
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