वैसे तो हर वर्ष कई कविता संग्रह (Kavita Sangrah)प्रकाशित होते हैं, परंतु सभी को वह महत्व हासिल नहीं होता । कुछ ही कविता संग्रह होते हैं जो बड़े कवियों, साहित्यकारों एवं समीक्षकों के द्वारा स्थापित मानकों पर खड़ा उतरते हैं । इसलिए यहाँ सभी Latest Hindi Poetry Books का चर्चा करना संभव नहीं है। फिर भी जो हिंदी साहित्य जगत में अपना स्थान बन चुका है उन कविता संग्रह के बारे में हम यहाँ कुछ पंक्तियां रखना चाहते हैं ।
हिंदी साहित्य में कविता संग्रह छपने की पुरानी परंपरा है । हमेशा से छपती आई है और आज भी यह परंपरा बरकरार है । कविता संग्रह के माध्य्म से ही किसी कवि को पहचान मिलती है । हिंदी जगत के बड़े पुरस्कार भी कविता संग्रह को दिया जाता है । इन पुरस्कारों के आधार पर ही हम यहाँ कुछ कविता संग्रह को रख रहें हैं ।
टोकरी में दिगंत-थेरी गाथा 2014
यह मशहूर कवियत्री ‘अनामिका’ द्वारा रचित एक कविता संग्रह है । इसे वर्ष 2020 का साहित्य एकेडमी पुरस्कार
से सम्मानित किया गया है । इसके साथ ही वह प्रथम महिला कवियत्री भी बन गयी,
जिसे इस पुरस्कार से नवाजा गया है।
इस कविता के बारे में कवियत्री का स्वयं कहना है, “ वर्तमान और
अतीत, इतिहास
और किंवदँतियाँ, कल्पना
और यथार्थ यहाँ साथ-साथ घुमरी परैया-सा नाचते दीख सकते हैं।" आज
जो स्त्री लेखन हो रहा है, उससे अलग एक नई कल्पानालोक का सृजन इन कविताओं में
मिलता है जो पाठकों से संवाद करते हुए चुपके से अपना आशय दर्ज करा रहा है ।
छीलते हुए अपने को
वर्ष 2019 के साहित्य एकेडमी पुरस्कार से जाने-माने कवि नंदकिशोर आचार्य
को उनकी कविता “ छीलते हुए अपने को ” के लिए नवाजा गया है । ओम निश्चल ने उनके और उनकी
कविता के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें कही है:-
“ नंद
किशोर आचार्य समकालीनता में सांस लेते हुए भी समय के पार जाने वाले कवियों में
हैं. बहुत बोलने वाली कविता उन्हें स्वीकार्य नहीं है. आखिरकार वे अज्ञेय के शिष्यों
में हैं जिसे सन्नाटे का छंद बुनना भला लगता रहा है तथा जिन्होंने कहा भी है,
शोर के इस संसार में मौन ही भाषा है.' अकारण
नहीं कि बार बार वे खामोशी की ओर लौटते हैं और उसमें डुबकी लगाते हुए एक विरल अर्थ
खोज लाते हैं ।
उनकी कविताओं में गूंज, अनुगूंज, संयमित
मुखरता और मौन आद्यन्त व्याप्त है. कविता में जो कुछ है वह जीवन ने दिया है.
जीवनानुभवों ने दिया है. जिंदगी की चुभन से कविता निकलती है. जीवन को तभी तो वे
आड़े हाथो लेते हैं. कि तुम भी भला क्या करती--तुम्हारे पास केवल जहरीले डंक
हैं--पर उसे आश्वस्त भी करते हैं ।”
जितने लोग उतने प्रेम
वर्ष 2018 का व्यास सम्मान लीलाधर जगूड़ी को उनके काव्य संग्रह ‘जितने लोग उतने प्रेम’ के लिए दिया गया है । वह एक वरिष्ठ साहित्यकार हैं । कविता के आलावा अन्य विधाओं में उनकी रचनाऐं हैं । उनके पास वर्षों का काव्यानुभव (लगभग 50 से अधिक वर्ष) है । इन अनुभवों के उपरांत यह कविता प्रकाशित हुई है । उनका यह 12 वां कविता संग्रह है ।
ऐसा कहा जाता है कि वे गद्य में कविता नहीं रचते, बल्कि
कविता में गद्य रचते हैं । वे अपने हर कविता संग्रह में अपनी कविता के लिए अलग-अलग
तरह के नव गद्य को गढते रहें हैं ।
यही कारण है कि अन्य कवियों की तरह उनकी कविता
में न केवल कहानियां होती है तथा न तो वे निबंध की रचना करते हैं । वे अक्सर कहते
हैं कि कविता जैसी कविता से बचना चाहिए । उनकी कविता के धरातल के कुछ अलग ही
रंग है ।‘जितने लोग उतने प्रेम’ की कविताएँ भी कविता के शिल्प और प्रेम के रूप को
रूढ़ि नहीं बनने देतीं ।
क्षमा
यह मशहूर लेखिका सुनीता जैन की कविता संग्रह है, जिसे
वर्ष 2015 के लिए व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया है । सुनिता जैन बहुयामी प्रतिभा
की लेखिका थी । इन्होंने बहुतेरे उपन्यास, कहानियाँ
एवं कविताऐं लिखी हैं । लगभग सौ से अधिक किताबें प्रकाशित
हो चुकी है । अंग्रेजी और हिंदी दोनों पर ही इनका समान अधिकार था । अंग्रेजी में बहुत
सारी किताबें प्रकाशित हो चुकी है ।
क्षमा कविता संग्रह में तुलसीदास
और रत्नावली की कथा को अनूठी शैली में प्रस्तुत किया गया है। उनकी प्रसिद्ध
पुस्तकों में ए गर्ल आफ हर एज, सफर के साथी, हेरवा, रंग.रति, जाने लड़की पगली,
दूसरे दिन, प्रेम में स्त्री ,
गंधर्व पर्व, शब्दकाया, सूरज छुपने से पहले, सौ
टंच माल शामिल हैं।
आग की हँसी
साहित्य एकेडमी पुरस्कार-2015
'आग की हँसी' कविता
संग्रह के लिए प्रो. राम दरस मिश्र को दिया गया है । रामदरश मिश्र की साहित्यिक
प्रतिभा बहुआयामी है। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना और निबंध जैसी प्रमुख विधाओं में तो लिखा
ही है, आत्मकथा-
सहचर है समय, यात्रा
वृत्तान्त तथा संस्मरण भी लिखे हैं।
कवि के अनुसार पुस्तक का नाम
‘आग की हँसी’ का
भाव यह है कि चूल्हे में जो आग होती है उससे रोटी बनती है। वही रोटी जब लोगों का रक्त में आती है तो हँसी बन
जाती है. लेकिन जो बड़े लोग हैं उनकी हँसी समाज में आग लगाती है । ये आग बड़े
लोगों की हँसी से लगती है लेकिन कलंक होता है कि आग चूल्हे से लगी है. छोटे लोगों
ने आग लगाई है. यही कविता का भाव है ।
पत्थर फेंक रहा हूँ
साहित्य एकेडमी पुरस्कार-2012
कवि चन्द्रकांत देवताले को उनके काव्य संग्रह 'पत्थर
फेंक रहा हूँ' के
लिए दिया गया है । वरिष्ठ कवि चंद्रकांत देवताले काफी अनुभवी हैं । यह
संग्रह उनके लंबे अनुभव और चिंतन से उपजी कविताओं का संकलन है। इनमें चिंतन की ठोस
जमीन विषय से इस तरह घुल-मिल गई है कि अंत
में वह यहां एक मजबूत कविता की शक्ल में ही रह जाती है। देवताले अपनी कविताओं में
निरंतर राजनीतिक सजगता और सामाजिक संदर्भों के अछूते विषय उठाते रहे हैं। बदले हुए
समाज, बदले
हुए समय में बदली हुई समस्याओं और विषयों पर अलग-अलग किस्म की कविताएँ उनके यहाँ
हैं।
देवताले 'दुनिया का सबसे गरीब आदमी' से लेकर 'बुद्ध के देश में बुश' तक पर कविताएँ लिखते हैं लेकिन सुखद यह है कि कविता के इस पूरे फैलाव में कहीं भी उनके गुस्से में कमी नहीं आती। वे अपने गुस्से को सर्जनात्मक बनाकर उससे भूख का निवारण चाहते हैं।
हवा में हस्ताक्षर
कैलाश वाजपेयी उन कवियों में से एक थे जिन्होंने हिंदी की 'आधुनिक
कविता' का
व्यक्तित्व निर्मित करने में अहम भूमिका अदा की। उनका जन्म 1936 में
उन्नाव ज़िले में हुआ था, लेकिन उनकी कविता ने आधुनिक भाव-बोध का मुहावरा
तभी हासिल कर लिया था जब वे बहुत युवा थे। लखनऊ विश्वविद्यालय से एम.ए. और
पी-एच.डी. की उपाधि हासिल करने वाले वाजपेयी की 34
पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।
इनमें हवा में हस्ताक्षर, हिन्दी कविता में शिल्प, संक्रांत, देहांत से हटकर, तीसरा अंधेरा और सूफीनामा प्रमुख हैं। इसके अलावा उनकी रचनाएं स्पेनिश, अंग्रेजी और जर्मन में भी अनुदित हैं। कैलाश वाजपेयी को उनकी कविता संग्रह- 'हवा में हस्ताक्षर' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था ।
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