Saturday 9 October 2021

Pehla Girmitiya, Hindi eBooks, Giriraj Kishore
पहला गिरमिटिया : गिरिराज किशोर (Mohandas in South Africa) यह उपन्यास युवा मोहनदास के ऊपर लिखी गयी है, मोहनदास से महात्मा गांधी बनने की कहानी है यह । इसके लेखक गिरिराज किशोर कहते हैं :- सवाल उठ सकता है, मैंने अपने उपन्यास के लिए मोहनदास पक्षयानी युवा मोहनदास को ही क्यों चुना ? अप्रैल 1995 में गाँधी जी पर उपन्यास लिखने की दृष्टि से जब मैंने दक्षिण अफ्रीका और मारीशस की यात्रा की तो मैं तबतक मोहनिया पक्ष को लेकर लगभग दो सौ पृष्ठ लिख चुका था । मेरा इरादा यही था कि मैं सम्पूर्ण गाँधी पर उपन्यास लिखूँ । अगर मैं ऐसा करता तो शायद यह संसार के समस्त सागरों को तैरकर पार करने जैसा होता । मोहनदास पक्ष को लेकर उपन्यास लिखने में ही मुझे लगा कि मैं हिंद महासागर को तैरकर पार करने की गुस्ताखी और जुर्रत कर रहा हूँ । जरूर डूब जाऊँगा ।  

गिरमिटिया' अंग्रेज़ी के शब्द 'एग्रीमेंट' का बिगड़ा हुआ रूप है। यह वह एग्रीमेंट या 'गिरमिट' है जिसके तहत हज़ारों भारतीय मज़दूर आज से डेढ़ सौ साल पहले दक्षिण अफ्रीका में काम की तलाश में गए थे। एक अजनबी देश, जिसके लोग, भाषा, रहन-सहन, खान-पान, एकदम अलग.... और सारे दिन की कड़ी मेहनत के बाद न उनके पास कोई सुविधा, न कोई अधिकार।
तभी इंग्लैंड से वकालत कि पढ़ाई पूरी कर 1893 में मोहनदास करमचंद गांधी दक्षिण अफ्रीका पहुंचते हैं। रेलगाड़ी का टिकेट होने के बावजूद उन्हें रेल के डिब्बे से सामान समेत बाहर निकाल फेंका जाता है। इस रंगभेद नीति के पहले अनुभव ने युवा गांधी पर गहरी छाप छोड़ी। रंगभेद नीति की आड़ में दक्षिण अफ्रीका में काम कर रहे भारतीय मजदूरों पर हो रहे अन्याय गांधी को बर्दास्त नहीं होते और वे उन्हें उनके अधिकार दिलाने के संघर्ष में पूरी तरह जुट जाते हैं। बंधुआ मजदूरों के साथ अपनी एकता को प्रदर्शित करने के लिए अपने आपको 'पहला गिरमिटिया' कहते हैं। 19वीं और 20वीं सदी के दक्षिण अफ्रीका की सामाजिक, राजनीतिक पृष्ठभूमि पर आधारित इस उपन्यास को सन् 2000 के व्यास सम्मान से पुरस्कृत किया गया है। 'शतदल सम्मान' और 'गांधी सम्मान'से सुसज्जित पहला गिरमिटिया गांधी जी को समझने का एक सफल प्रयास है।


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